गंगा किनारे दुर्गा पूजा का जादू

पवित्र गंगा नदी के किनारे| हर साल दुर्गा पूजा का अनोखा माहौल देखने को मिलता है। शानदार ढंग से सजे पंडाल गंगा के तट पर| और रमणिक वातावरण में दुर्गा माँ की महिमा का प्रतीक हैं। अनगिनत लोग इस विशेष पर्व को मनाने के लिए गंगा नदी के किनारे| आते हैं। लाल रंग की रोशनी, धुनें और व्यक्तित्व से भरे वातावरण में दुर्गा पूजा का यह जादू अनोखा| होता है।

महाकाली के शहर में मां दुर्गा की महिमा

धरती पर जहां गंगा का जल प्रवाहित होता है, वहीं वाराणसी नामक नगर स्थित है। इस पवित्र नगर में मां दुर्गा की महिमा अद्वितीय है। यहां दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा का आयोजन होता है जो बहुत ही धूमधाम से किया जाता है।

  • मंथन | लक्ष्मी, सरस्वती और सावित्री की पूजा होती है।
  • प्रेमियों को मां दुर्गा का दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आने आते हैं

मां दुर्गा की महिमा इस शहर में इतनी प्रचलित है कि हर कोने पर उनकी मूर्तियां देखने को मिलती है। यहां का वातावरण आनंददायी होता है और हर कोई मां दुर्गा की माया से प्रेरित होकर जाता है।

काशी की परंपरागत दुर्गा पूजा

पारंपरिक रीति-रिवाजों से काशी की दुर्गा पूजा, एक अद्भुत उत्सव है click here , जो प्रतिदिन आने वाले पंडितों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है . यह उत्सव में, विशेष रूप से माँ दुर्गा की अर्चना सम्पादित की जाती है , जो एक शक्तिशाली देवी समझी जाती है . यह पूजा मौके पर भक्ति, गीत और धार्मिक रीति-रिवाजों का उत्सव मनाने का प्रतीक है .

नगर की गली-मोहल्लों में धूमधाम से भक्ति भावना झलक रही है

यह मनोरम दृश्य देखकर मन को शांति मिलती है। हर तरफ भक्तों का जमावड़ । उनके चेहरे पर मुस्कानें झलक रही हैं। भजन का स्वर हर तरफ गूंज रहा है। यह त्यौहार शहर को एक नया जीवन दे रहा है।

धर्म एवं संस्कृति के जश्न का मेल

यह देश अद्वितीय है जहाँ विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के उत्सव एक साथ व्यक्त होते हैं . हर पर्व अपने अलग-अलग महत्व और रीति-रिवाजों से भरा होता है. ये उत्सव हमें एकता, सामंजस्य और सद्भावना की भावना का पाठ देते हैं.{

किसी विशेष पर्व के उदाहरण दें। जैसे: दीपावली का त्योहार पूरे देश में उमंग से मनाया जाता है. यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक परंपराओं और रीति-रिवाजों को भी जीवंत करता है.{

इस समागम में भोजन का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है. हर पर्व के साथ ही निरंतर अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हैं .

गंगा किनारे जलजलाती माँ दुर्गा

यहाँ हिमाचल के शिखरों से निकले नदी का झुमरा करती धारा उसके पारंपरिक पोशाक को {रोशन करता है। उसकी सुंदर मुस्कान महाशिवरात्रि में अपने भक्तों को प्रेरणा देती है ।

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